शुक्रवार, 15 अगस्त 2008

विमलानंद सरस्वती .......

विमलानान्दजी का जन्म १९२१ में बिहार के शाहाबाद जिले (अब बक्सर ) में १९५४ में हुआ था । विमलानंद बनने से पहले वे अवध विहारी सुमन थे । १९५४ में उन्होंने सन्यास लिया । स्वतंत्रता आन्दोलन से राजनीतिक सफर और संन्यासी -जीवन का उनके पास यादों का खजाना था । महापंडित राहुल संक्रितायन के , स्वामी सहजानंद सरस्वती के अनुयायी , महाकवि नागार्जुन के संगी -साथी विमलानान्दजी के जीवन एवं लेखन में राजनीति, धर्मं , दर्शन , इतिहास , साहित्य की कई परम्पराएँ सुरक्षित थी । सन १९३९ में कांग्रेसी कार्यकर्ता के रूप में राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले स्वामीजी ने सहजानंद सरस्वती के किसान आन्दोलन में सक्रिय भागीदारी की । १९४०-४१ में आरा , गया , भागलपुर में गिरफ्तार कर जेल भेजे गए । १९४२ में उन्हें भूमिगत जीवन जीना पड़ा । इसी के साथ -साथ उनका अध्ययन लेखन भी चलता रहा ।
१९४६ में उन्होंने हिन्दी साप्ताहिक पत्र 'कृषक' का संपादन -प्रकाशन किया । राहुलजी एवं बाबा नागार्जुन के साथ मिलकर कुछ पुस्तकों का संपादन भी किया । देश के अनेक इलाकों में उन्होंने व्यापक भ्रमण किया है । उनकी स्मृतियों के संग्रहालय में देश के हर भाग का सांस्कृतिक भूगोल सुरक्षित था ।
उनके जीवन के बहुतेरे प्रसंगों में से इन छोटे विवरणों में एक संन्यासी के जीवन की गाथाएं विविधतापूर्ण है । उनके यहाँ समाज की अनिवार्य उपस्थिति है । समाज का सुख -दुःख और संघर्ष उनके जीवन -दर्शन का अभिन्न हिस्सा था । उनके लेखकीय अवदान को हम देखे तो पता चलता है की उन्होंने आचार्य शंकर के सन्यास मार्ग के पुनीत प्रवाह का कितना सामाजिक विनियोग किया है ।

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