गुरुवार, 20 अगस्त 2009

जसवंत के जीना

बीजेपी के सीनियर नेता जसवंत 'जीना ' पर लिखकर खूब चर्चित लेखक हो गए । एक ऐसा लेखक साबित हुए जिसकी किताब के कारण घर वाले उसको निकल बहार कर दिए --निर्ममता की हद तक ! पता नही उनके घर वाले किताब पढ़े भी की नही? राजनाथ वगैरह की ऐसी प्रतिभा और सरोकार भी नही रह कभी की लोकार्पण के ठीक एक दो दिन बाद पुरी किताब पढ़ लिए हों। बीजेपी में किताबों के लिए चर्चित और कुख्यात हैं --अरुण शौरी वे भी तो संदिग्ध हैं ,ऐसे में अडवानी और राजनाथ को किताब के बारे में कौन बताया होगा?
जसवंत वाले मसले पर अडवानी की क्या राय रही यह पता नही चल पाया। क्योकि वे जब से उदार और प्रोग्रेसिव हुए हैं तब से बीजेपी उनके हाथ से निकल चुकी है और संघ की बदौलत राजनाथ जैसे जूनियर उनके बराबरी में चल रहे हैं।
जसवंत जी को बहुत बहुत बधाई किताब के लिए नही (क्योकि मैंने पढ़ी नही ) इसलिए की बहुत कम लेखक इतने भाग्यशाली होते हैं की उसके लिखे को बैन कर दिया जाय। आज फिल्मकार क्या क्या जतन naही करते अपने फिल्मों को विवाद में घसीटे जाने के लिए।
भइया ! बीजेपी और संघ को तसलीमा और सलमान रुसदी के मसले पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की याद aane lagati hai . dohra charitra ,vichardhra ,suvidhabhgi -suvidhajivi stand sabhi daloan or netaoan ki niyati ban chuki hai. Loktanra amar rahe!