बुधवार, 21 मार्च 2012

'भारत में धार्मिक-आध्यात्मिक एवं नैतिक शिक्षा'





                                                  संगोष्ठी में मंचासीन गणमान्य

पिछले दिनों स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय मेरठ में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी में 'भारत में धार्मिक-आध्यात्मिक एवं नैतिक शिक्षा' पर व्यापक विचार-विमर्श हुआ । विविध क्षेत्रों के वक्ताओं ने सुचिंतित विचार प्रकट किये । मानवीय मूल्यों , सदाचरण , सांस्कृतिक पर्यावरण , परिवार , समाज , शिक्षा, मानवाधिकार आदि अनेक पक्षों-संदर्भों को रखते हुए विद्वान वक्ताओं ने मूल्य आधारिक नैतिक शिक्षा की जरूरत बताई जिससे क़ि राष्ट्र को मजबूती मिल सके ।
श्रीलंका से पधारे  मुख्य अतिथि आनन्दबोधि समाज के उपाध्यक्ष पन्नातिशा ने कहा कि वर्तमान समाज के पतन का कारण सांस्कृतिक प्रदूषण है। परिवार में सद्व्यवहार और सदाचरण खत्म होता जा रहा है। ऐसे में हमें सत्याचरण को अपने जीवन व्यवहार में उतारना चाहिए। श्रेष्ठ आचरण से ही विपत्तियों को दूर किया जा सकता है। इससे परिवार , समाज और राष्ट्र को दिशा दी जा सकती है ।
        पन्नातिशा स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय के सरदार पटेल प्रेक्षागृह में आयोजित    राष्ट्रीय संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
स्वामी विवेकानन्द सुभारती विवि के सरदार पटेल सुभारती इंस्टिट्यूट ऑफ़ ला (विधि संकाय/कॉलेज) और युआंकर वैज्ञानिक एवं सामाजिक विज्ञान अनुसंधान, फाउंडेशन, हापुड के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय समाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद नई दिल्ली की ओर से ‘भारत में धार्मिक एवम् नैतिक शिक्षा’ विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। श्री पन्नातिशा ने अपने संबोधन में आगे कहा कि न्याय और धर्म दोनों साथ-साथ चलते हैं । हमें अपने शिक्षकों के अच्छे गुणों को अपनाकर समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
सुभारती संस्थापक डॉ. अतुल कृष्ण का कहना था कि बालक की प्रथम शिक्षा परिवार से शुरू होती है। ऐसे में माता-पिता का अपने कर्तव्यों का उचित निर्वहन का दायित्व बढ़ जाता है। हम आदर्श समाज की संकल्पना को तभी साकार कर सकते हैं , जब हम अपने जीवन में अध्यात्म का अनुसरण कर सद्व्यवहार एवं सदाचरण  करें। मीडिया एवं विधि के विद्यार्थियों को इस संदर्भ में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।
दक्षिण कोरिया के सीओल स्थित हीडॉग कॉलेज के निदेशक एवं विशिष्ट अतिथि ली.चाई.रैन ने कहा कि यदि हमें विश्व में नागरिकों के मानवाधिकारों का संरक्षण करना है तो हमें अपनी शिक्षा को मूल्य आधारित बनाना होगा। कानून को हम तभी परिवर्तित कर सकते है, जब हमारा समाज शिक्षित होगा। बौद्धिक दर्शन के माध्यम से भी समाज को शिक्षित एवं जागरूक बनाया जा सकता है। विशिष्ट अतिथि अशोक मैत्रेय ने कहा कि भारत वर्तमान समय में अपराध, गरीबी, भ्रष्टचार, युवा असंतोष जैसी चुनौतियों से हम तभी निपट सकते हैं जब हम विद्यार्थियों -युवायों को अध्यात्मिक शिक्षा देंगे। वर्तमान शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है।
प्रो. रमेश मदान ने राजनीतिक व्यवस्था में महिलाओं को और अधिक प्रतिनिधित्व दिए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उदघाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रो. अनीता शर्मा ने कहा कि हम अपने समाज में सौहार्द एवम् विकास तभी कर सकते हैं जब विधि शिक्षा को हम अनिवार्य करें। हमें विधि शिक्षा को प्रत्येक नागरिक के लिए अनिवार्य करना होगा। हमें चीन से शिक्षा लेनी चाहिए और कन्फूशियस के सिद्धांतों को अपनाना चाहिए।
सुभारती ला कॉलेज के प्राचार्य डॉ. वैभव गोयल भारतीय ने कहा कि हमें युवाओं को प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक आध्यात्मिक शिक्षा के माध्यम से चरित्र निर्माण में मदद करनी चाहिए।
सुभारती मेडिकल कॉलेज के कम्यूनिटी मेडिसन के विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. राहुल बंसल ने कहा कि किशोरों को बुरी प्रवृत्तियों को आध्यात्मिक शिक्षा के माध्यम से ही बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि विज्ञान ने भी अध्यात्म के महत्व को स्वीकार किया है।
डॉ.  मोहन गुप्त ने कहा कि धर्म को विज्ञान के साथ जोडऩे की जरूरत है। पदम् सिंह, डॉ. रानी तिवारी, मिस मुक्ता आदि ने भी विचार व्यक्त किए। तकनीकी सत्रों में विभिन्न शोधार्थियो ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। इससे पूर्व राष्ट्रीय गोष्ठी का शुभारम्भ मुख्य अतिथि पन्नातिशा, प्रो. ली.चाई रैन, डॉ.अतुल कृष्ण, प्रो. अनीता शर्मा, विभागाध्यक्ष पूर्वी एशियन अध्ययन केंद्र, दिल्ली विवि, डॉ रमेश मदान, उपनिदेशक अनुसंधान, भारतीय समाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली, डॉ. वैभव गोयल भारतीय प्राचार्य एवम् डीन, सुभारती लॉ कॉलेज, पत्रकार डॉ. अशोक मैत्रेय ने दीप प्रज्जवलित कर किया।
संगोष्ठी में सुभारती आन्दोलन के संस्थापक डा. अतुल कृष्ण, वरिष्ठ पत्रकार डा. अशोक मैत्रेय तथा सुभारती इन्स्टिटूशन की संस्थापक डा. मुक्ति भटनागर को (अनुपस्थिति में ) समाज -शिक्षा-संस्कृति में विशिष्ट अवदानों के लिए 'ग्लोबल इंटलैक्चुअल अवॉर्ड - 2012 ' कोरिया के समन्वयक ली.चाई.रैन व भारतीय समन्वयक हीरो हीतो द्वारा प्रदान किया गया। इसके अलावा इंटरनेशनल क्रिएटिव माइंड पुरस्कार- 2012 मानक रिसर्च फाउंडेशन, कोरिया के समन्वयक ली.चाई.रैन और हीरो हीतो द्वारा डा. वैभव गोयल भारतीय, डा. राहुल बंसल, डा. अनीता शर्मा, डा. रमेश मदान को दिया गया।
कार्यक्रम का संचालन मिस रीना विश्नोई ने किया। आभार प्रकाश डॉ. वैभव गोयल भारतीय ने  किया। सारिका त्यागी, मोहम्मद आरिफ , रश्मि सिंह राणा, शिप्रा, डॉ. सरताज अहमद , डॉ. मनोज कुमार त्रिपाठी, डॉ. अंकित हीरो हीतो, हरीश कुमार आदि का विशेष सहयोग रहा। डॉ. मनोज कुमार त्रिपाठी ने संगोष्ठी का प्रतिवेदन (रिपोर्ट ) प्रस्तुत किया । इस अवसर पर छात्र-छात्राएं एवं संकाय सदस्य तथा अनेक महत्वपूर्ण लोग उपस्थित थे ।

1 टिप्पणी:

DR. MANOJ ने कहा…

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